रांची
जेएमएम प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने आज पीसी कर कहा कि एक भी वोटर छूटे नहीं, यह चुनाव आयोग का टैगलाइन है। लेकिन ऐसा लगता है कि चुनाव आयोग का वर्कलाइन है, ग्रामीण वोटर छूट जाए और शहरी वोटर शहरी पार्टी को वोट दे। सुप्रियो ने कहा, पहले जिला निर्वाचन पदाधिकारी ने कहा था कि हमने सभी राजनीतिक दलों के साथ बैठक की है। ताकि चुनाव भयमुक्त और शांतिपूर्ण हो।
उन्होंने आगे कहा, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने कहा था कि राज्य में 88% ग्रामीण वोटर हैं और 12% शहरी वोटर हैं। लेकिन अब तय किया है कि ग्रामीण वोटरों के लिए 1 घंटे कम वोटिंग टाइम होगा। वहीं, शहरी वाटर के लिए 1 घंटे ज्यादा टाइम है। कहा कि पहले झारखंड नक्सल प्रभावित क्षेत्र था, इसलिए ऐसी व्यवस्था की जाती थी। लेकिन अब राज्य इस स्थिति से बाहर निकल गया है। इसलिए ग्रामीण वोटरों को भी शहरी वोटरों के समान वोटिंग का समय मिलना चाहिये।
सुप्रियो ने आरोप लगाया कि पहले जिला को बांटा गया और अब क्षेत्रों को बांट रहे हैं। इसका असर वोटिंग पर पड़ेगा। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा, मैंने बंटी बबली की चाल को नजदीक से देखा है। ये लोग ऐसी चाल चल रहे हैं जिससे कि हरियाणा की तरह यहां भी जीत सकें।
कहा कि अब बंटी बबली कबूतर का खेल खिलवा रहे हैं। कब तक खेल खेलेंगे, ये नहीं कहा जा सकता। कहा इनके पास यानी बीजेपी के पास चुनाव के मुद्दे समाप्त हो जाते जा रहे हैं।
सुप्रियो ने कहा, बीजेपी पहले परिवारवाद की दुहाई देती थी। लेकिन बीजेपी की दरिद्रता इस बात से झलकती है कि बाप बेटा दोनों को चुनाव लड़ा दिया। एक ही सदन के लिए बाप बेटे को उतार दिया। कहा कि राज्यपाल रघुवर दास की बहू को इस बार बीजेपी की ओऱ से टिकट दिया गया है। बीजेपी में कोई पत्नी तो कोई भाई और कोई बेटे को चुनाव लड़ा रहा है। कहा एक पार्टी ऐसी भी एनडीए में है, जिसका एक विधायक सरकार में था और एक विपक्ष में।
कहा टिकट के लिए विपक्षी पार्टी में कोई किसी का गला काट रहा है और कोई किसी को मार रहा है। सब भूल गए हैं कि चुनाव के मुद्दे क्या होंगे। कहा, हम विशेष धन्यवाद उनको करेंगे जिनके बीजेपी में जाने से बीजेपी की प्रदेश में कमर टूट गयी है। जिस प्रकार से बंटी बबली सक्रिय हैं और जिस प्रकार से झारखंड के लोगों की आवाज को दबाने का प्रयास हो रहा है, उससे इनकी हार तय है।
जेएमएम नेता ने काह, हमारे डीजीपी पर भी चुनाव आयोग ने शिकायत की थी। लेकिन महाराष्ट्र के डीजीपी को इन्होंने नहीं हटाया। कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया लेकिन बीजेपी ने उसे भी नहीं माना। कहा कि हम हमेशा कहते रहे हैं कि परिवार का सदस्य अगर जनता के बीच रहे और जनता उसे चुने तो वह परिवारवाद नहीं कहलाएगा। अधिवक्ता का बेटा अधिवक्ता बनता है और डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बनता है तो क्या वह परिवारवाद नहीं है।